Harsh Pokharna: आज के कॉर्पोरेट वर्ल्ड में जब भी किसी कंपनी से छंटनी (Layoff) की खबर आती है, तो वह आमतौर पर तनाव, असुरक्षा और असंतोष की भावना के साथ जुड़ी होती है। लेकिन क्या हो जब कोई बॉस अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के बाद भी उन्हें नई नौकरी दिलाने की पूरी जिम्मेदारी उठाए? ऐसे ही हुआ है OkCredit कंपनी मे और Harsh Pokharna ने ये करके दिखाया है | इंसानियत की मिसाल पेश की है आज के जमाने मे |
यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि OkCredit के CEO हर्ष पोखरना की सच्ची और प्रेरणादायक मिसाल है, जिसने सोशल मीडिया पर लाखों दिल जीत लिए हैं।
कौन हैं Harsh Pokharna?
हर्ष पोखरना, भारतीय फिनटेक स्टार्टअप OkCredit के को-फाउंडर और CEO हैं। उनकी कंपनी डिजिटल लेन-देन को सरल और पेपरलेस बनाने के लिए छोटे दुकानदारों को मोबाइल ऐप मुहैया कराती है।
उनकी सोच साफ है – टेक्नोलॉजी के साथ मानवता भी ज़रूरी है।
70 कर्मचारियों की छंटनी – लेकिन इज्ज़त और सहारे के साथ
18 महीने पहले, कंपनी को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा और मजबूरी में उन्हें अपनी टीम से 70 लोगों को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा।
परंतु यह प्रक्रिया न तो बेरहम थी, न ही गैरजिम्मेदार। हर्ष पोखरना ने एक सच्चे लीडर की तरह इस कठिन समय में भी अपने कर्मचारियों के लिए जो किया, वह मिसाल बन गया।
क्या किया कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए?
“छंटनी आसान नहीं थी, लेकिन हमने इसे सही तरीके से करने की पूरी कोशिश की।” – Harsh Pokharna
उन्होंने एक LinkedIn पोस्ट में विस्तार से बताया कि:
- सभी 70 कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से बात की गई।
- उन्हें समझाया गया कि यह फैसला क्यों लिया गया।
- सभी को 3 महीने का नोटिस पीरियड दिया गया – ताकि उन्हें तैयारी का वक्त मिल सके।
- हर कर्मचारी को नौकरी ढूंढ़ने में रेफरल, नेटवर्किंग और स्किल मैचिंग जैसी मदद दी गई।
- नतीजा ये हुआ कि 70 में से 67 कर्मचारियों को नोटिस ख़त्म होने से पहले ही नई नौकरी मिल गई।
- बचे हुए 3 कर्मचारियों को कंपनी ने दो महीने की अतिरिक्त सैलरी दी – ताकि वह मानसिक और आर्थिक रूप से स्थिर रह सकें।
लीडरशिप की सच्ची गाथा :
आज जब ज़्यादातर कंपनियाँ “cost-cutting” के नाम पर अचानक मेल भेज कर कर्मचारियों को निकाल देती हैं, वहां Harsh Pokharna जैसे लीडर्स की सोच “Human First” कल्चर को प्रमोट करती है।
यह घटना हमें बताती है कि:
- छंटनी जरूरी हो सकती है, लेकिन इंसानियत कभी जरूरी से कम नहीं होनी चाहिए।
- नेतृत्व सिर्फ मुनाफे के आंकड़ों से नहीं, व्यवहार और नीतियों से परखा जाता है।
- एक CEO सिर्फ एक बॉस नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और परिवार का हिस्सा हो सकता है।
क्या बाकी कंपनियाँ इससे कुछ सीखेंगी?
भारत समेत दुनिया में आए दिन layoff news सुर्खियों में रहती हैं। लेकिन उनमें से बहुत कम ऐसी खबरें होती हैं जहां इम्प्लॉइज़ को सम्मान और समर्थन मिलता है।
हर्ष पोखरना का यह कदम साबित करता है कि यदि नीयत साफ हो तो सबसे मुश्किल फैसले को भी “dignity and empathy” के साथ लिया जा सकता है।
निष्कर्ष
आपकी लीडरशिप तब नहीं मापी जाती जब सब कुछ ठीक चल रहा हो, बल्कि तब मापी जाती है जब हालात कठिन हों।
Harsh Pokharna ने इस कथन को सही मायनों में साबित किया है। उनकी इस भावना को सोशल मीडिया पर जमकर सराहा गया है और कई लोग उन्हें “India’s most empathetic CEO” कह रहे हैं।
ये भी पढे:Market Crash, Tariff और Trump की चाल: क्या आने वाला है एक नया ‘ब्लैक मंडे’ ?