बिहार शरीफ: नगर आयुक्त दीपक कुमार मिश्रा की निगरानी में बनाए गए एक घड़ीघर ने सोशल मीडिया पर भारी विवाद खड़ा कर दिया है।
बिहार शरीफ में बनाए गए इस घड़ीघर की तस्वीरें जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर वायरल हुईं, तो लोगों ने जमकर आलोचना शुरू कर दी। बताया गया कि यह घड़ीघर करीब 40 लाख रुपये की लागत से बना है, लेकिन उद्घाटन के एक दिन बाद ही घड़ी बंद हो गई। इससे लोगों में गुस्सा और नाराजगी और बढ़ गई।
बिहार शरीफ घड़ीघर क्या है?
यह घड़ीघर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के दौरान जल्दबाजी में चालू किया गया था। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, अगले ही दिन यह बंद हो गया। बताया गया कि अज्ञात चोरों ने इसके भीतर से कॉपर वायर (तांबे की तारें) चुरा लीं, जिससे यह काम करना बंद कर गया। तब से यह घड़ीघर हर दिन सिर्फ दो बार ही सही समय दिखाता है—4:20 बजे।
लोगों ने सोशल मीडिया पर तंज कसे:
- “इंजीनियरिंग का चमत्कार!”
- “21वीं सदी का आठवां आश्चर्य!”
- “सिर्फ 40 लाख में ऐसी कलाकृति!”
तस्वीरों में घड़ीघर की घटिया पेंटिंग, अधूरा सीमेंट स्ट्रक्चर और डिजाइन की कमी को लेकर भी आलोचना हुई। कई लोगों ने इसकी “मूल योजना” की तुलना इस “अधूरे निर्माण” से की और नगर निगम पर सवाल खड़े किए।
दीपक कुमार मिश्रा पर सवालों की बौछार
इस प्रोजेक्ट के चलते नगर आयुक्त दीपक कुमार मिश्रा को ‘X’ पर लोगों ने घेरना शुरू कर दिया। सैकड़ों लोगों ने उन्हें टैग करते हुए सवाल पूछे और तंज कसते हुए धन्यवाद दिया कि उन्होंने “ऐसा घड़ीघर गिफ्ट किया जो दिन में दो बार सही समय दिखाता है।”
जैसे-जैसे ट्रोलिंग बढ़ती गई, दीपक कुमार मिश्रा का ‘X’ अकाउंट पहले प्रोटेक्टेड मोड में चला गया (जहां केवल फॉलोअर्स उनकी पोस्ट देख सकते हैं), और फिर कुछ समय बाद अकाउंट ही डिलीट कर दिया गया।
दीपक कुमार मिश्रा का जवाब
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दीपक कुमार मिश्रा ने सफाई दी कि:
- “घड़ीघर का उद्घाटन अब तक नहीं हुआ है।”
- “यह प्रोजेक्ट अभी निर्माणाधीन है।”
- “प्रगति यात्रा के दौरान इसे कुछ समय के लिए चालू किया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद इसमें चोरी हो गई।”
- “घड़ीघर नाला रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है, और इसकी अनुमानित लागत 20 लाख रुपये है, न कि 40 लाख जैसा वायरल हुआ था।”
उन्होंने कहा कि जल्द ही घड़ीघर की मरम्मत और बाकी कार्य पूरे किए जाएंगे।
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कौन हैं दीपक कुमार मिश्रा?
दीपक कुमार मिश्रा एक IAS अधिकारी हैं और वर्तमान में बिहार शरीफ के नगर आयुक्त पद पर कार्यरत हैं। उन्हें पहले भी कुछ विकास परियोजनाओं के लिए सुर्खियों में देखा गया है, लेकिन इस बार उनका नाम घड़ीघर विवाद के कारण ट्रेंड में आ गया।