Ceasefire क्या है:
10 मई, 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 90 घंटे तक चले तनाव के बाद दोनों देशों ने सीजफायर की घोषणा की। पाकिस्तान के डीजीएमओ (Director General of Military Operations) द्वारा शुरू किए गए इस समझौते को भारत ने अपनी शर्तों पर स्वीकार किया। यह एक द्विपक्षीय समझौता था, जिसमें अमेरिका ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई। दोनों पक्ष शांति के प्रति सतर्क इरादे दिखा रहे हैं, और आगे की बातचीत जारी रहेगी।

लेकिन सीजफायर (Ceasefire) आखिर होता क्या है? यह कब लागू किया जाता है? और इसके नियम क्या हैं? आइए, विस्तार से समझते हैं।
सीजफायर क्या है? (What is a Ceasefire?)
Ceasefire एक ऐसा समझौता है जिसमें दो विरोधी पक्ष (आमतौर पर देश या सशस्त्र गुट) लड़ाई और सैन्य गतिविधियों को अस्थायी रूप से रोकने पर सहमत होते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य शांति वार्ता, बातचीत, या मानवीय सहायता (जैसे घायल सैनिकों को निकालना) के लिए अनुकूल माहौल बनाना होता है।
सीजफायर एकतरफा (Unilateral) या द्विपक्षीय (Bilateral) हो सकता है। यह संघर्ष को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।
Ceasefire के प्रमुख उद्देश्य:
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युद्धविराम से दोनों पक्षों को बातचीत का मौका मिलता है।
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मानवीय संकट को कम करने में मदद मिलती है।
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अंतरराष्ट्रीय दबाव या मध्यस्थता के तहत संघर्ष को थामने का प्रयास।
सीजफायर कब लागू किया जाता है? (When is a Ceasefire Implemented?)
सीजफायर आमतौर पर निम्नलिखित स्थितियों में लागू किया जाता है:
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जब युद्ध या संघर्ष लंबा खिंच जाता है और दोनों पक्षों को लगता है कि लड़ाई जारी रखने से कोई फायदा नहीं होगा।
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अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण, जब वैश्विक शक्तियाँ संघर्ष रोकने का आग्रह करती हैं।
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मानवीय संकट (जैसे बड़ी संख्या में मौतें या शरणार्थियों का बढ़ना) के कारण।
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शांति वार्ता की तैयारी के लिए, ताकि दोनों पक्ष बिना हिंसा के बातचीत कर सकें।
सीजफायर कैसे तय होता है?
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सीधी बातचीत: दोनों पक्ष आपस में बात करके सीजफायर की शर्तें तय करते हैं।
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तीसरे पक्ष की मध्यस्थता: संयुक्त राष्ट्र या अन्य देश (जैसे अमेरिका, रूस) बीच-बचाव करते हैं।
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एकतरफा घोषणा: कोई एक पक्ष युद्धविराम की घोषणा कर देता है।
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क्या Ceasefire स्थायी शांति की गारंटी है?
Ceasefire अक्सर अस्थायी समाधान होता है। कई बार यह लंबे समय तक चलता है, तो कभी-कभी कुछ घंटों या दिनों में ही टूट जाता है। हालाँकि, अगर दोनों पक्ष ईमानदारी से शांति की दिशा में काम करें, तो सीजफायर स्थायी संधि (Peace Treaty) में बदल सकता है।
भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर का इतिहास
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1948, 1965, 1971 के युद्धों के बाद सीजफायर हुए।
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2003 का समझौता लंबे समय तक चला, लेकिन कई बार उल्लंघन हुए।
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2025 का सीजफायर अमेरिकी मध्यस्थता में हुआ, जिसमें दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई।
निष्कर्ष
सीजफायर युद्ध को रोकने का एक जरूरी कदम है, लेकिन यह तभी सफल होता है जब दोनों पक्ष शांति के लिए प्रतिबद्ध हों। भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सीजफायर एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन भविष्य में बातचीत ही स्थायी समाधान का रास्ता तय करेगी।
क्या आपको लगता है कि यह सीजफायर टिकेगा? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं!