Trump Tarrif War : बीते दो अप्रैल को ट्रंप ने नए टैरिफ दरों की घोषणा की। तीन अप्रैल से ये दर लागू भी हो गए। अमेरिका पहुंचने वाले भारतीय उत्पादों पर ट्रंप ने 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। यानी कि अमेरिका में भारतीय सामान और महंगे हो जाएंगे। ट्रंप की इस घोषणा के बाद दुनिया में एक नया ‘टैरिफ वार’ शुरू हो गया है। कई देशों ने पलटवार करते हुए अमेरिका उत्पादों पर अपना टैरिफ बढ़ा दिया है।
Trump Tarrif War : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफ के बाद दुनिया भर के बाजारों में हाहाकार मचा हुआ है। यूरोप से लेकर एशिया तक के शेयर बाजार लगातार टूट रहे हैं और इससे निवेशकों का अब तक लाखों करोड़ का नुकसान हो गया है। एक्सपर्ट का मानना है कि टैरिफ की मार से दुनिया के शेयर बाजारों में भारी गिरावट का दौर आगे भी जारी रहेगी।
ब्लैक मंडे की आहट… और ट्रम्प का ठहाका!
कल्पना कीजिए:
सोमवार सुबह है, और विश्व के शेयर बाजार खून से नहाए हैं।
ब्रोकर सिर पकड़कर बैठा है, निवेशक सांस रोककर स्क्रीन देख रहे हैं…
और इसी समय वॉशिंगटन से एक आवाज़ आती है:
डोनाल्ड ट्रम्प जी कहते है, मुझे ” मार्केट क्रैश की चिंता नहीं!”
क्या ये वही इंसान हैं जिनकी नीतियों ने मार्केट को झटका दिया? आइए, इस कहानी की परतें खोलते हैं।
टैरिफ की शुरुआत: ‘रेसिप्रोकल टैक्स’ या ‘इकोनॉमिक बम’?
2 अप्रैल को ट्रम्प ने ऐलान किया —
“दूसरे देश हमें जितना टैक्स देते हैं, अब हम भी वैसा ही देंगे!”
इसे नाम दिया गया “Reciprocal Tariff Policy”।
सीधा मतलब –
अगर भारत अमेरिका से आने वाले प्रोडक्ट पर 26% टैक्स लगाता है,
तो अब अमेरिका भी भारत पर 26% टैरिफ लगाएगा।
टैरिफ के चपेट मे आए ये सारे देश, जिसमे भारत भी सामील है
- भारत – 26%
- चीन – 34%
- जापान – 24%
- यूरोपीय यूनियन – 20%
- वियतनाम 🇻🇳– 46%
50 देशों की बेचैनी: “हमें ट्रम्प से बात करनी है!”
ट्रेजरी सेक्रेटरी का बयान आया – “50+ देश अमेरिका से संपर्क कर रहे हैं, सबको डर है।”
लेकिन ट्रम्प ने साफ किया: “मुझे मार्केट क्रैश की चिंता नहीं। जो गलत किया है, उन्हें भुगतना होगा!”
1987 vs 2025:
1987 में जब Dow Jones 22.6% गिरा था, उसे ब्लैक मंडे कहा गया था।
अब जिम क्रैमर जैसे एक्सपर्ट कह रहे हैं —
“हम 1987 जैसी ही स्थिति में हैं!”
शेयर बाजार की रफ्तार थम रही है, निवेशकों के पसीने छूट रहे हैं। क्या हम इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहे हैं?

US ट्रम्प का मकसद: ‘America First’ या ‘Global Chaos’?
ट्रंप का तर्क है —
“हमारे देश के प्रोडक्शन को बचाना होगा।”
उनका दावा है कि अमेरिका अब ज्यादा मजबूत है,
लेकिन सवाल ये है — क्या बाकी दुनिया इसकी कीमत चुका रही है?
Trump Tarrif War से भारत की स्थिति क्या है?
टैरिफ में भारत को भी सीधे निशाने पर लिया गया है।
ट्रंप ने कहा:
“मोदी मेरा दोस्त है, लेकिन भारत अमेरिका के साथ ठीक बर्ताव नहीं कर रहा।”
तो क्या भारत की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा?
क्या हमारे एक्सपोर्ट पर खतरा मंडरा रहा है?
10 अप्रैल से अमेरिकी उत्पादों पर 34% टैरिफ लगाएगा चीन
चीन ने जवाबी करते हुए अमेरिका से आने वाले सभी उत्पादों पर 34 फीसद टैरिफ लगाया है। यह टैरिफ 10 अप्रैल से लागू हो जाएगा। वहीं, वियतनाम ने एक संभावित व्यापार समझौते के तहत अपना टैरिफ शून्य करने की बात कह चुका है। भारत के लिए राहत की एक बड़ी बात यह भी है कि ट्रंप ने टैरिफ के दायरे से सेमीकंडक्टर्स, कॉपर और दवाओं को बाहर रखा है। खासकर भारत बड़ी मात्रा में दवाएं अमेरिका भेजता है। अमेरिका जितनी जेनरिक दवाएं मंगाता है, उसमें से आधा निर्यात भारत करता है। हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि ट्रंप के इस टैरिफ से भारत के इलेक्ट्रानिक, ऑटो पार्ट्स, रत्न एवं आभूषण सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय:
- जिम्मेदार कौन?
ट्रंप की नीतियां या दशकों पुरानी ग्लोबल ट्रेड व्यवस्था? - क्या होगा आगे?
ट्रेड वॉर लंबा चलेगा या डिप्लोमैसी सब संभाल लेगी? - निवेशकों को क्या करना चाहिए?
अभी panic करने का नहीं, प्लानिंग का समय है।
निष्कर्ष: एक फैसले ने हिला दी पूरी दुनिया!
ट्रम्प की टैरिफ नीति ने न सिर्फ अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को उथल-पुथल में डाल दिया है।
कुछ लोग इसे अमेरिका के लिए फायदेमंद मानते हैं,
तो कुछ इसे एक “अर्थव्यवस्था का युद्ध” कह रहे हैं।
आपकी राय ज़रूरी है!
क्या ट्रम्प सही कर रहे हैं? या ये एक बड़ा जोखिम है जो पूरी दुनिया को ले डूबेगा?
नीचे कमेंट में अपनी राय दें।
ये भी पढे :
Market Crash, Tariff और Trump की चाल: क्या आने वाला है एक नया ‘ब्लैक मंडे’ ?