क्या RBI के Repo Rate मे कटोती करने से होंगे आपको फायदे ? क्या आपके Home Loan की EMI घटेगी? | देखे सारे Points1 ……

विमल चंदर जोशी: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने 9th अप्रैल 2025 बुधवार  को रेपो रेट में 25 basis points  की कटौती की है। इससे होम लोन की ईएमआई घटने की उम्मीद की जा रही है। बीते दो महीनों में आरबीआई ने कुल 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। फरवरी में रेपो रेट 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया गया था।

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इसलिए, जिन होम लोन की ब्याज दरें MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट) और EBLR (एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट) से जुड़ी हैं, उनमें भी गिरावट आने की संभावना है।

1 अक्टूबर 2019 से पहले, फ्लोटिंग रेट Home Loan MCLR से जुड़े होते थे, जिसका मतलब है कि होम लोन की ब्याज दरें जमा दरों, Repo Rate, परिचालन लागत और नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को बनाए रखने की लागत पर आधारित होती थीं।

1 अक्टूबर 2019 से, फ्लोटिंग रेट Home Loan को बाहरी बेंचमार्क से जोड़ा गया है, जिसमें रेपो रेट सबसे आम है। अन्य बेंचमार्क में ट्रेजरी बिल यील्ड और अन्य दरें शामिल हैं।

इसलिए, आपकी होम लोन की EMI नीचे जा सकती है यदि:

I. आपका होम लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट (विशेषकर रेपो रेट) से जुड़ा है।

II. आपका होम लोन MCLR से जुड़ा हुआ है।

कितनी होगी गिरावट?

हालांकि RBI ने पिछले दो बैठकों में कुल 50 basis पॉइंट की कटौती की है, यह स्पष्ट नहीं है कि इसका कितना फायदा ग्राहकों को मिलेगा। बैंकों को यह तय करने का अधिकार है कि वे कितनी कटौती का लाभ ग्राहकों को देंगे।

हालांकि, भले ही बैंक पूरी 50 बेसिस पॉइंट की कटौती का फायदा न दें, लेकिन कुछ लाभ ग्राहकों को मिलने की संभावना है। तो अब बैंक के हिसाब से हमे अपने EMI मे कटोती दिखने की संभावना है |

Other Loans 

वहीं, जिन ऋणों की ब्याज दरें फिक्स्ड होती हैं, जैसे पर्सनल लोन, उन पर इस Repo rate कटौती का कोई असर नहीं पड़ेगा। ये आम तौर पर छोटी अवधि के ऋण होते हैं और फिक्स्ड ब्याज दर पर दिए जाते हैं।

ट्रंप के टैरिफ से माल व्यापार में गिरावट की आशंका:अपने बयान में आरबीआई गवर्नर Sanjay Malhotra ने स्वीकार किया कि टैरिफ (शुल्क) का असर माल निर्यात (Merchandise Exports) पर पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% रहने की उम्मीद है। वहीं महंगाई दर का अनुमान 4% लगाया गया है।

हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा व्यापक टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद केंद्रीय बैंक की दर निर्धारण समिति चैन से नहीं बैठ सकती। ट्रंप ने 9 अप्रैल से भारत पर 26 प्रतिशत का प्रतिपक्षी टैरिफ (Reciprocal Tariff) लागू करने की घोषणा की है, जो आगे चलकर महंगाई के दबाव को बढ़ा सकता है। अर्थशास्त्रियों ने भी आगाह किया है कि इन टैरिफ के चलते मंदी जैसे प्रभाव सामने आ सकते हैं, जिससे लागत में वृद्धि होगी और मांग में कमी आ सकती है।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि यह दर कटौती आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए ट्रांसमिशन में सुधार करेगी।

टाटा एसेट मैनेजमेंट में डिप्टी हेड-फिक्स्ड इनकम अमित सोनी कहते हैं:
“हम उम्मीद करते हैं कि मौद्रिक नीति ट्रांसमिशन को मजबूत कर अर्थव्यवस्था को मौजूदा वैश्विक अनिश्चितता में सहारा देगी। हम उम्मीद करते हैं कि बाजार दरें 6.40%-6.60% की सीमा में बनी रहेंगी, विशेष रूप से 10 साल की बॉन्ड यील्ड के मामले में। वहीं, 1 साल तक की अल्पकालिक यील्ड भी पिछले एक महीने में 75-100 बेसिस पॉइंट की तेजी के बाद मौजूदा दायरे में बनी रह सकती हैं।”


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