पपीते की खेती से किसान कर रहे है लाखों मे कमाई | जानिए विधि और खेती के तरीके | काम लागत मे बेहतरीन कमाई का Idea 1

पपीते की खेती: अगर आप बागवानी फसलों की खेती करना चाहते हैं, तो पपीते की खेती एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी खेती सालभर की जा सकती है। पपीता की खेती के लिए 10 – 40 डिग्री सेल्शियस तापमान सबसे सही होता है। जल निकास युक्त दोमट मीट्टी पपीते की खेती के लीये उत्तम रहती है।

पपीता की खेती
पपीता की खेती

पपीते की खेती: एक लाभदायक व्यवसाय

अगर आप बागवानी फसलों की खेती करना चाहते हैं, तो पपीते की खेती एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी खेती सालभर की जा सकती है। पपीता की खेती के लिए 10 – 40 डिग्री सेल्शियस तापमान सबसे सही होता है। जल निकास युक्त दोमट मीट्टी पपीते की खेती के लीये उत्तम रहती है।

भूमि की गहराई 45 सेमी से कम नही होनी चाहिए। पपीता एक ऐसी फसल है, जिसे गमलों में भी लगा सकते हैं, लेकिन इसके लिए खास किस्मों को ही लगाना चाहिए। गमलों में लगाने के लिए पूसा नन्हा, पूसा ड्वार्फ आदि का चुनाव करना चाहिए। पपीते की खेती में गन्ना और तंबाकू की तुलना में तीन गुना ज़्यादा मुनाफ़ा मिलता है. पपीते की खेती से जुड़ी कुछ और खास बातेंः


पपीते की खेती के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ

  • तापमान: 10 – 40 डिग्री सेल्सियस
  • मिट्टी: जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
  • भूमि की गहराई: कम से कम 45 सेमी होनी चाहिए।

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पपीते की उन्नत किस्में:

पपीते की खेती
पपीता की खेती
  • ताइवान
  • रेड लेडी -786
  • हनीड्यू (मधु बिंदु)
  • कुर्ग हनीड्यू
  • वाशिंगटन
  • कोयंबटूर -1
  • पंजाब स्वीट
  • पूसा डिलीशियस
  • पूसा जाइंट
  • पूसा ड्वार्फ
  • पूसा नन्हा
  • सूर्या
  • पंत पपीता

पपेन उत्पादन के लिए:

  • पूसा मैजेस्टी
  • CO-5
  • CO-2

गमले में पपीते की खेती

पपीता  गमलों में भी उगाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए विशेष किस्में  के पपीते उपयुक्त होती हैं, जैसे:

  • पूसा नन्हा
  • पूसा ड्वार्फ

प्रमुख किस्मों की विशेषताएँ

  • रेड लेडी: यह अत्यधिक लोकप्रिय किस्म है, जिसका फल 1.5 – 2 किग्रा वजन का होता है। इसमें 13% शर्करा होती है और यह रिंग स्पॉट वायरस के प्रति सहनशील है।
  • पूसा मैजेस्टी: यह पपेन उत्पादन के लिए उपयुक्त और सूत्रकृमि प्रतिरोधी किस्म है।
  • पूसा डिलीशियस: यह गाइनोडायोशियस किस्म है, जिसका फल 1.0 – 2.0 किग्रा वजन का होता है। पौधे 260-290 दिनों में फल देना शुरू कर देते हैं।
  • पूसा ड्वार्फ: यह डायोशियस किस्म है, छोटे पौधों पर अधिक फल लगते हैं। फल 1.0 – 2.0 किग्रा के होते हैं और प्रति पौधा 40 – 50 किग्रा उत्पादन होता है।
  • पूसा जायंट: बड़े आकार के फल (2.5 – 3.0 किग्रा) उत्पन्न करता है। यह पेठा और सब्जी उत्पादन के लिए उपयुक्त है।
  • पूसा नन्हा: यह अत्यंत बौनी किस्म है, जिसे गमलों और छत पर भी उगाया जा सकता है। प्रति पौधा 25 किग्रा तक उत्पादन देती है।
  • अर्का सूर्या: यह गाइनोडायोशियस किस्म है, जिसमें प्रति पौधा 55 – 56 किग्रा उत्पादन की क्षमता होती है।

पपीते की बुवाई और रोपण प्रक्रिया

  • बीज बोने का समय:
    • जुलाई – सितंबर
    • फरवरी – मार्च
  • बीज का चुनाव:
    • अच्छी गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करें।
    • संकर प्रजातियों के लिए हर बार नया बीज लगाएं।
  • बीजोपचार:
    • बीजों को 0.1% कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल से उपचारित करें।
    • प्रति हेक्टेयर 500 – 600 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

पौध रोपण विधि

  • 45 x 45 x 45 सेमी आकार के गड्ढे बनाएं।
  • 1.5 x 1.5 मीटर या 2 x 2 मीटर की दूरी पर रोपण करें।
  • प्रति गड्ढे में 10 किग्रा गोबर की खाद, 500 ग्राम जिप्सम और 50 ग्राम क्यूनालफास 1.5% चूर्ण डालें।

प्लास्टिक थैलियों में बीज की रोपाई

  • 200 गेज और 20 x 15 सेमी आकार की थैलियों का उपयोग करें।
  • इनमें मिट्टी, पत्ती की खाद, रेत और गोबर खाद का मिश्रण भरें।
  • प्रत्येक थैली में 2-3 बीज बोएं।

सिंचाई प्रबंधन

  • पौध रोपण के तुरंत बाद सिंचाई करें।
  • गर्मियों में: हर 5-7 दिन में सिंचाई करें।
  • सर्दियों में: हर 10 दिन में सिंचाई करें।
  • ध्यान रखें कि पौधों के तनों के पास पानी न रुके।

तुड़ाई और उत्पादन

  • पौधे लगाने के 10-13 महीने बाद फल तैयार हो जाते हैं।
  • फलों का रंग हरे से हल्का पीला होने लगे, तो वे तुड़ाई के लिए तैयार होते हैं।
  • प्रति पौधा 40 – 70 किग्रा उपज मिलती है।
  • पपेन उत्पादन के लिए प्रति पौधा 150 – 200 ग्राम पपेन प्राप्त किया जा सकता है।

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यह गाइड पपीते की सफल खेती के लिए आवश्यक सभी जानकारी प्रदान करती है। यदि सही तकनीक और उचित देखभाल अपनाई जाए, तो पपीता एक अत्यंत लाभदायक व्यवसाय बन सकता है।

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