Pahalgam Terror Attack- पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए उन सभी की कहानियां… नम हो जाएंगी आंखें
पहलगाम की हसीन वादियों में एक ऐसा दिन आया, जो कई जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया। आतंकी हमले में मारे गए 16 लोगों की हर कहानी दर्द से भरी है। हर नाम के पीछे एक सपना था, एक परिवार था, जो अब सिर्फ यादों में रह गया। किसी की शादी को कुछ दिन ही हुए थे, तो कोई पहली बार कश्मीर की वादियों को देखने आया था। अब सिर्फ कहानियां बची हैं — अधूरी और दिल को चीर देने वाली।
उन 16 लोगों की कहानियां, जो पहलगाम की वादियों से घर लौट कर न आए। अब उनके नाम सिर्फ एक लिस्ट में दर्ज है।
मंजू नाथ शिवमू (कर्नाटक)
कभी कश्मीर देखा नहीं था, पहली बार परिवार संग घूमने आए थे। डल लेक पर उनका आखिरी वीडियो लोगों को और भी भावुक कर देता है। पत्नी और बच्चे के साथ आए मंजू नाथ की पहलगाम में आतंकियों ने जान ले ली। अब सिर्फ उनकी मुस्कान और कुछ तस्वीरें रह गई हैं।
विनय नरवाल (हरियाणा)
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शादी को बस 6 दिन हुए थे। हनीमून पर पत्नी संग कश्मीर आए थे। मेहंदी अभी भी हाथों पर ताज़ा थी, लेकिन 22 अप्रैल को हुए हमले में विनय हमेशा के लिए चले गए। एक नई ज़िंदगी शुरू होते ही खत्म हो गई।
शुभम द्विवेदी (उत्तर प्रदेश)
कानपुर के शुभम की शादी 12 फरवरी को हुई थी। दो महीने बाद ही वह पत्नी संग पहलगाम गए थे। आतंकियों की गोली ने उनकी जान ले ली। पत्नी ने कहा, “मुझे भी मार दो”, मगर आतंकियों ने जवाब दिया — “जाकर सरकार को बताओ हमने क्या किया।”
सुशील नथानियल (मध्य प्रदेश)
इंदौर के एलआईसी अधिकारी सुशील नथानियल अपने परिवार के साथ थे। जब आतंकियों ने धर्म पूछा और उन्होंने ‘ईसाई’ कहा, तो उन्हें गोली मार दी गई। पत्नी और बेटी को बचाने के लिए उन्होंने खुद को आगे किया। उनकी कुर्बानी ने परिवार को बचा लिया, लेकिन उन्हें छीन लिया।
सैयद हुसैन शाह (जम्मू-कश्मीर)
अनंतनाग के निवासी सैयद हुसैन शाह भी इस हमले का शिकार बने। उनकी मां की आंखों में बस आंसू हैं, और जुबां पर वही एक सवाल — क्यों?
https://twitter.com/ShivamYadavjii/status/1914708675794501740
संदीप नेवपाणे (नेपाल)
संदीप ट्रैवल ब्लॉगर थे, नेपाल से भारत घूमने आए थे। सोशल मीडिया पर प्रकृति की खूबसूरती दिखाते थे। पहलगाम में उनका सफर वहीं थम गया।
दिनेश मिरानिया (छत्तीसगढ़)
रायपुर के कारोबारी दिनेश अपने परिवार के साथ छुट्टियां बिताने आए थे। गोलियां चलीं, धर्म पूछा गया, और फिर उन्हें मार दिया गया। उनकी पत्नी, बेटा और बेटी अब उस खालीपन के साथ जी रहे हैं जिसे न कोई वक्त भर सकता है, न कोई जगह।
बाकी जिनके नाम अब सिर्फ एक लिस्ट में दर्ज हैं:
- दिलीप जयराम देसले – महाराष्ट्र
- अतुल श्रीकांत मोने – महाराष्ट्र
- शिवम मोग्गा – कर्नाटक
- उधवानी प्रतीप कुमार – UAE
- हिम्मत भाई – गुजरात
अब भी जिनकी पहचान बाकी है:
- प्रशांत कुमार बालेश्वर
- बीटन अधिकेरी
- संजय लखन लेले
- मनीष रंजन
- रामचंद्रम
- शैलेंद्र काल्पिया
Pahalgam Terror Attack- एक हादसा, कई कहानियां…
कहते हैं वादियां सुकून देती हैं, लेकिन उस दिन कश्मीर की वादियों में सिर्फ गोलियों की आवाज़ थी। जो गए, वो लौटकर नहीं आए — और जो रह गए, उनके पास अब सिर्फ उनकी यादें हैं।
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