कौन हैं ऑफिसर सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर प्रेस को ब्रीफ किया?
भारत के इतिहास में पहली बार, किसी बड़े सैन्य अभियान के बाद प्रेस ब्रीफिंग का नेतृत्व दो महिला अधिकारियों — भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह — ने किया। यह केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत के संकल्प का प्रतीक नहीं था, बल्कि यह महिलाओं की ताकत और भूमिका को सशक्त रूप से प्रस्तुत करता है जो अब सशस्त्र सेनाओं के नेतृत्व में भी दिखाई दे रही हैं।

पाहलगाम, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में नौ आतंकी अड्डों पर सटीक हमले किए। यह ऑपरेशन उन महिलाओं और परिवारों की स्मृति में नामित किया गया, जिन्होंने अपने प्रियजनों को उस हमले में खोया था।
लीडरशिप की प्रतीक: कर्नल सोफिया कुरैशी
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कर्नल सोफिया कुरैशी ने 1990 में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया।
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उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
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2016 में उन्होंने Force 18 नामक ASEAN Plus संयुक्त सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना के 40-सदस्यीय दल का नेतृत्व किया — जो कि किसी महिला अधिकारी द्वारा पहली बार था।
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उस अभ्यास में उनका मुख्य कार्य था शांति बनाए रखने वाले अभियानों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना।
सोफिया कुरैशी एक मुस्लिम महिला होते हुए भी उन सभी धारणाओं को तोड़ती हैं जो समाज और मज़हब के नाम पर महिलाओं को घर की चार दीवारी तक सीमित करने की कोशिश करती हैं।
कुछ आलोचक यह कह सकते हैं कि “एक मुस्लिम लड़की को सेना में जाकर ‘धर्म’ के खिलाफ नहीं जाना चाहिए,” लेकिन असल में इस सोच का कोई आधार नहीं है। इस्लाम में भी अपने वतन की रक्षा करना और ज़ुल्म के खिलाफ खड़े होना सम्मानजनक कार्य माना गया है। कर्नल सोफिया कुरैशी इस विचार की जीती-जागती मिसाल हैं कि सच्चा धर्म इंसानियत और कर्तव्य के प्रति ईमानदारी में है।
उन्होंने स्वयं युवतियों से अपील की है —
“अगर संभव हो तो भारतीय सेना जॉइन करें।”
यह केवल एक प्रेरणा नहीं, बल्कि एक साहसिक आवाज़ है जो भारत की बेटियों को आगे बढ़ने का रास्ता दिखा रही है।
विंग कमांडर व्योमिका सिंह — भारतीय वायुसेना की नारी शक्ति
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2004 में वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया।
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चेतक और चीता हेलिकॉप्टरों में उत्कृष्ट उड़ान सेवा का लंबा अनुभव।
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2017 में विंग कमांडर बनीं।
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पूर्वोत्तर में बाढ़ राहत अभियानों में विशिष्ट सेवाओं के लिए Signal Officer-in-Chief’s Appreciation से सम्मानित।
व्योमिका सिंह उन महिलाओं में से हैं जिन्होंने केवल पायलट ही नहीं, बल्कि एक लीडर की भूमिका भी निभाई। आज जब उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर प्रेस ब्रीफिंग की, तो वे केवल वायुसेना की नहीं, बल्कि पूरे भारत की आवाज़ बनीं।
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मुस्लिम महिला और सेना में सेवा: क्या यह धर्म के खिलाफ है?
कुछ कट्टर सोच रखने वाले लोग सवाल उठा सकते हैं कि एक मुस्लिम महिला का सेना में जाना या हथियार उठाना उनके धर्म के खिलाफ है। लेकिन सच्चाई यह है कि इस्लाम में अपनी कौम, अपने देश, और न्याय की रक्षा करना सबसे बड़ी इबादतों में से एक है।
कुरान में भी कहा गया है:
“अत्याचार के खिलाफ खड़े रहो, न्याय के पक्ष में गवाही दो, चाहे वह खुद तुम्हारे खिलाफ हो।”
कर्नल सोफिया कुरैशी ने किसी “धर्म” के खिलाफ नहीं, बल्कि एक झूठे विचार के खिलाफ खड़े होकर साबित किया है कि एक मुसलमान और एक देशभक्त दोनों एक साथ हो सकते हैं।
महिलाओं की बढ़ती भूमिका और देश की ताकत
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह केवल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा नहीं थीं। वे भारत की नई शक्ति का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। उनका संयम, उनकी आवाज़ और उनका आत्मविश्वास इस बात का संकेत है कि अब सुरक्षा, रणनीति, और संवाद — हर मोर्चे पर महिलाएं मोर्चा संभाल रही हैं।
भारत का संदेश साफ है:
“अब आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई को लीड करने वाले प्रोफेशनल्स हैं — चाहे वे पुरुष हों या महिलाएं।”