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Business Idea: जूट की डिमांड में तेजी से आया है उछाल, इसकी खेती दे रही मोटी कमाई का शानदार मौका 1!

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Business Idea  – Jute Farming:  तगड़ी कमाई करना चाहते हैं तो एक शानदार बिजनेस आइडिया है. इस बिजनेस के लिए आपको जूट की खेती करना होगा. सरकार द्वारा जूट की फसल को बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे किसानों की आय में इजाफा होगा.

जूट की खेती: किसानों के लिए एक लाभदायक नकदी फसल

किसान नकदी फसलों की खेती करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। उन्हें पारंपरिक फसलों तक सीमित न रहते हुए ऐसी फसलें उगानी चाहिए जो अधिक लाभकारी हों। इसी उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकारें नकदी फसलों को बढ़ावा दे रही हैं। यदि आप पारंपरिक खेती के अलावा किसी अन्य फसल की तलाश में हैं, तो जूट एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। पिछले कुछ वर्षों में, जूट सबसे अधिक उपयोगी प्राकृतिक फाइबर के रूप में उभरा है। इसके पर्यावरण अनुकूल उपयोग को देखते हुए कई राज्यों में जूट की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। आज हम जानेंगे कि कब और कैसे जूट की खेती की जा सकती है

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जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी

किसानों को बेहतर कीमत दिलाने और जूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की है। जूट की बुवाई मार्च से अप्रैल के बीच, गेहूं और सरसों की कटाई के बाद की जाती है। किसान चाहें तो खरीफ सीजन से पहले ही जूट की फसल उगा सकते हैं। जूट एक प्राकृतिक रेशा है, जिसकी डिमांड तेजी से बढ़ी है। अगर आप जूट की खेती करते हैं, तो यह बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2023-24 के लिए कच्चे जूट के MSP में 6% की वृद्धि की है।

अनाज की पैकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली बोरियां जूट से ही बनाई जाती हैं। केंद्र और राज्य सरकारें कुल जूट उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा किसानों से खरीदती हैं, जिससे उन्हें स्थिर आय प्राप्त होती है।

जूट उत्पादक प्रमुख राज्य

फसलों की खेती आमतौर पर मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करती है। कुछ विशेष फसलें सिर्फ उपयुक्त जलवायु और मिट्टी में ही बेहतर उत्पादन देती हैं। जूट की खेती मुख्य रूप से पूर्वी भारत में की जाती है, खासकर बिहार, त्रिपुरा, असम और मेघालय में। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में भी जूट की खेती की जाती है।

बिहार में पिछले कुछ समय में जूट की खेती के प्रति किसानों का रुझान एकदम से बढ़ा गया है, कम लागत में बेहतर उत्पादन और सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन मिलने के काऱण किसानों के लिए जूट की खेती मुनाफे का सौदा बन गयी है| पिछले एक दशक में जूट की खेती का रकबा जिले में छह हजार हेक्टेयर तक बढ़ा है. सीमांचल में जूट की मांग अधिक होने के कारण किसानों को बाजार भाव भी अधिक मिल रहा है|

जूट: एक उच्च मांग वाली नकदी फसल

जूट के पौधे कोमल, लंबे और चमकदार होते हैं। इन पौधों से रेशा निकालकर मोटा धागा बनाया जाता है, जिसका उपयोग कई तरह के उत्पादों में किया जाता है, जैसे कि सजावटी सामान, बैग, परदे, चटाई, टोकरी आदि। इसके अलावा, जूट के पौधों से लुगदी (Pulp) बनाई जाती है, जिसका उपयोग कागज और फर्नीचर निर्माण में किया जाता है।

जूट की मांग हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है, जिससे यह किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर बन गया है। यदि आप खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो जूट की खेती एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। साथ ही, यह एक पर्यावरण अनुकूल फसल भी है, जिससे सतत (Sustainable) खेती को बढ़ावा मिलता है।

कैसे तैयार होता है जूट का रेशा ?

निष्कर्ष

जूट की खेती न केवल उच्च लाभ प्रदान करती है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। यदि आप एक लाभदायक नकदी फसल की तलाश में हैं, तो जूट की खेती आपके लिए एक बेहतरीन अवसर हो सकती है

 

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