Shalini Sarswathi – बिना हाथ-पैरों के चैंपियनशिप मे अपना नाम रौशन करने वाली : एक अद्वितीय प्रेरणा की कहानी

Struggle to Success (आसान तो बिल्कुल नहीं था ये सफर)

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जीवन में बाधाएं और चुनौतियाँ हर किसी के सामने आती हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इन चुनौतियों को अपने संकल्प और धैर्य से पार कर लेते हैं। कहते हैं कि जब जिंदगी कठिन हो जाती है, तो कठिन लोग आगे बढ़ जाते हैं। Shalini Saraswathi की कहानी इसी कहावत का प्रतीक है। वे एक साधारण जिंदगी जी रही थीं, जब 2013 में अचानक उनकी जिंदगी ने एक अप्रत्याशित मोड़ लिया। एक दुर्लभ Bacterial संक्रमण की शिकार हुईं। और उनके शरीर के चारों अंगों को धीरे-धीरे गैंग्रीन (gangrene) बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया। इस संक्रमण ने ना केवल उन्हें शारीरिक रूप से प्रभावित किया बल्कि उनकी जिंदगी को भी बदलकर रख दिया। इन कठिन परिस्थितियों में भी, Shalini ने हार नहीं मानी और उनके Husband प्रशांत ने हर कदम पर उनका साथ दिया।

Shalini Saraswathi

Life  की सबसे कठिन पल शालिनी के जीवन मे 

दिसंबर 2014 तक, शालिनी ने अपने चारों अंग खो दिए थे| लेकिन इस विपरीत परिस्थिति में भी शालिनी ने अपने हौंसले को टूटने नहीं दिया। दिसंबर 2014 में क्वाड एम्पुटेशन के बाद, उन्होंने फिर से जीवन को सामान्य बनाने की ठानी। उन्होंने यह निर्णय किया कि वे अपने जीवन को नई दिशा देंगी । आसान नहीं था  बिना हाथ-पैरों के लाइफ को फिर से सुरू करना |

 

Shalini के जीवन की फिर से  नई सुरुवात

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2016 में, उनके कोच बीपीआई अप्पा ने उन्हें दौड़ने के लिए प्रेरित किया। पहली बार में शालिनी को यह असंभव लगा, लेकिन अप्पा का उन पर विश्वास और उनकी खुद की दृढ़ इच्छा शक्ति ने उन्हें इस असंभव को संभव बना दिया। कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ, शालिनी ने दो साल बाद अपनी पहली हाफ मैराथन पूरी की। इस सफलता ने उन्हें आत्मविश्वास दिया |

फिर कभी पीछे मूड कर देखा ही नहीं|

शालिनी की यात्रा यहीं नहीं रुकी। चैलेंज फाउंडेशन की मदद से उन्हें सही रनिंग ब्लेड मिले, जिससे उनके प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ। 2019 में, उन्होंने इंडियन मास्टर्स एथलेटिक चैंपियनशिप में 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में भाग लिया। शालिनी का कहना है कि जब वे दौड़ती हैं, तो उन्हें प्रेरणा मिलती है और वे आगे बढ़ने और पदक जीतने की लालसा रखती हैं। उनका अगला लक्ष्य मैराथन में हिस्सा लेना है, और उनके दृढ़ निश्चय को देखते हुए, यह लक्ष्य भी जल्द ही प्राप्त होगा।

Shalini  की  प्रेरना 

शालिनी एक उत्साही Blogger हैं (आप soulsurvivedintact.blogspot.com पर उनके काम को पढ़ सकते हैं)।  और वह विभिन्न मंचों पर विकलांग व्यक्तियों को शामिल करने की वकालत भी करती हैं। वह एडवेंचर्स बियॉन्ड बैरियर्स फाउंडेशन की राजदूत हैं, जो साहसिक खेलों के मंच के माध्यम से विकलांगों को शामिल करने को बढ़ावा देने वाला एक गैर-लाभकारी संगठन है, और वह सेवियर ऑफ सोल नामक एक गैर-सरकारी संगठन से जुड़ी हुई हैं, जो सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के पुनर्वास के साथ-साथ लिंग आधारित हिंसा के लिए काम करता है। छुट्टी के दिनों में, वह परिवार और दोस्तों के साथ नाचना, गाना और हंसी-मजाक करना पसंद करती हैं।

ज़िंदगी मे आगे बदते रहना हि सबसे बड़ी सिख है 

शालिनी की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, अगर हमारे पास दृढ़ निश्चय और समर्थन हो, तो हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। उनके साहस और संघर्ष की यह कहानी ना केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह हमें अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए भी प्रेरित करती है।

अंत में, शालिनी सरस्वती का जीवन इस बात का प्रमाण है कि जब हम अपनी सीमाओं को पार करने की ठान लेते हैं, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। उनकी कहानी हमें यह याद दिलाती है कि असली जीत वह होती है जो हम अपने डर और सीमाओं से प्राप्त करते हैं। शालिनी की यात्रा एक अद्वितीय प्रेरणा स्रोत है, और यह हमें दिखाती है कि सच्ची जीत का अर्थ क्या होता है।

 

 

 

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