Blackout Drills: मई 2025 में, भारत ने कई राज्यों में ब्लैकआउट ड्रिल्स (अंधकार अभ्यास) का आयोजन किया। यह एक राष्ट्रीय स्तर का अभ्यास था, जिसमें सीमावर्ती और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया। इसका मकसद था—युद्ध जैसी आपात स्थितियों के लिए तैयारी करना, आम नागरिकों की प्रतिक्रिया को परखना और बुनियादी ढांचे की मजबूती का आकलन करना।
हालांकि, यह ड्रिल्स ऐसे समय में हुईं जब भारत पहले से ही गर्मियों की चरम बिजली मांग से जूझ रहा था। लेकिन यह सिर्फ बिजली की कमी का मामला नहीं था—यह एक सोची-समझी रणनीति थी।

1971 के बाद पहली बार, युद्धकालीन तैयारी
1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार, भारत ने नागरिक सुरक्षा अभ्यास के तौर पर BlackOut Drills कीं। यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद बढ़ते तनाव के बीच उठाया गया, जिसके बाद सैन्य टकराव बढ़ने और युद्ध की आशंकाएं जताई जा रही थीं।
10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान ने America मध्यस्थता में तत्काल युद्धविराम की घोषणा की, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने सार्वजनिक किया। लेकिन, कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने Ceasefire का उल्लंघन करते हुए जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में गोलाबारी, ड्रोन हमले और हवाई हमले शुरू कर दिए। श्रीनगर और उधमपुर में विस्फोटों की आवाजें सुनाई दीं, और भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी ड्रोन्स को मार गिराया।
Blackout क्यों जरूरी होता है?
युद्धकाल में ब्लैकआउट सिर्फ बिजली कटौती नहीं होती—यह एक सुरक्षा उपाय होता है। इसका मकसद शहरों और रणनीतिक स्थलों को दुश्मन की नजर से बचाना होता है, खासकर हवाई हमलों से। ब्लैकआउट के दौरान सभी प्रकाश स्रोत—जनरेटर सहित—बंद कर दिए जाते हैं, ताकि दुश्मन को आबादी वाले इलाके या महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों का पता न चल सके।
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मई 2025 में कौन-से राज्य और शहर Blackout Drills में शामिल थे?
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | प्रभावित शहर | ब्लैकआउट का कारण |
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जम्मू-कश्मीर | श्रीनगर, जम्मू, पहलगाम, बारामूला | सीमा से नजदीकी, हालिया हमले |
पंजाब | अमृतसर, पठानकोट, फिरोजपुर | सीमावर्ती इलाके, सैन्य ठिकाने |
राजस्थान | बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर | पाकिस्तान सीमा के नजदीक |
हरियाणा | अंबाला, पानीपत, करनाल | रणनीतिक स्थान, सैन्य अड्डे |
हिमाचल प्रदेश | उना, कांगड़ा | सीमा से सटे इलाके |
उत्तर प्रदेश | मेरठ, आगरा, लखनऊ | महत्वपूर्ण सैन्य और आर्थिक केंद्र |
गुजरात | भुज, गांधीनगर | पश्चिमी सीमा, रणनीतिक प्रतिष्ठान |
दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी) | नई दिल्ली | राष्ट्रीय सुरक्षा, अति-महत्वपूर्ण ढांचा |
महाराष्ट्र | मुंबई, पुणे | प्रमुख शहरी केंद्र, अवसंरचना परीक्षण |
पश्चिम बंगाल | कोलकाता, सिलीगुड़ी | पूर्वी सीमा, तैयारी अभ्यास |
नोट: देशभर में 244 से अधिक शहरों और कस्बों ने इन ड्रिल्स में हिस्सा लिया, जिनमें सीमावर्ती और रणनीतिक स्थानों पर विशेष ध्यान दिया गया।
ब्लैकआउट vs कर्फ़्यू: क्या अंतर है?
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ब्लैकआउट: यह एक सुरक्षा उपाय है, जिसमें सभी प्रकाश स्रोत (जनरेटर सहित) बंद कर दिए जाते हैं, ताकि दुश्मन को शहरों और रणनीतिक ठिकानों का पता न चल सके।
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कर्फ़्यू: यह एक प्रशासनिक आदेश होता है, जिसमें लोगों को घरों में रहने का निर्देश दिया जाता है।
कैसा रहा Blackout का अनुभव?
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15 मिनट तक पूरा शहर अंधेरे में डूबा रहा।
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लोगों को बैकअप सिस्टम सहित सभी लाइट्स बंद करने का निर्देश दिया गया।
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आपातकालीन सेवाओं और प्रशासन ने वास्तविक संकट जैसी स्थिति में प्रतिक्रिया का अभ्यास किया।
बिजली आपूर्ति की चुनौतियाँ
हालांकि यह ब्लैकआउट रणनीतिक और नियंत्रित था, लेकिन भारत बिजली संकट से भी जूझ रहा है:
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मई-जून 2025 में बिजली की मांग चरम पर, 15-20 GW की कमी का अनुमान।
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उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बिजली अधिशेष, लेकिन अन्य राज्यों में कमी।
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निष्कर्ष
ये ब्लैकआउट ड्रिल्स सिर्फ बिजली गुल होने का मामला नहीं थीं, बल्कि देश की सुरक्षा और तैयारियों का हिस्सा थीं। जैसे-जैसे भारत-पाक तनाव बढ़ा, सरकार ने आम जनता को सतर्क और सुरक्षित रखने के लिए यह कदम उठाया। अब सवाल यह है कि क्या यह तैयारी भविष्य में और बड़े संघर्ष को रोक पाएगी?